प्राचीन काल मे झारखण्ड || Jharkhand in ancident times
प्राचीन काल मे झारखण्ड
➤ झारखण्ड के प्राचीन काल को चार भागो मे बांटा गया है |
मौर्य काल
➤ मगध से दक्षिण भारत की ओर जाने वाला व्यापारिक मार्ग झारखण्ड से होकर जाता था | अत: मौर्यकालीन झारखण्ड का अपना राजनीतिक , आर्थिक तथा सामाजिक महत्व था |
कौटिल्य का अर्थशास्त्र
➤ कौटिल्य के अर्थशास्त्र मे इस क्षेत्र को कुकुट/कुकुटदेश नाम से जाना जाता था |
➤ कौटिल्य के अनुसार कुकुटदेश मे गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली स्थापित थी |
➤ कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने आटविक नामक एक पदाधिकारी की नियुक्ति की थी, जिसका उदेश्य जंजातियों का नियंत्रण, मगध साम्राज्य हेतु इनका उपयोग तथा शत्रुओ से इनके गठबंधन को रोकना था |
➤ इंद्रानावक नदियों की चर्चा करते हुए कौटिल्य ने लिखा है कि नदियो से हीरे प्राप्त किए जाते थे | इंद्रानावक संभवत : ईब और शंख नदियो का इलाका था |
➤ चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल मे सेना के प्रयोग हेतु झारखण्ड से हाथी मंगाया जाता था |
अशोक
➤ अशोक के 13वें शिलालेख मे समीपवर्ती राज्यो कि सूची मिलती है, जिसमे से एक आटविक/आटव/आटवी प्रदेश ( बघेलखंड से उदिशा के समुन्द्र तट तक विस्तृत ) भी था और झारखण्ड क्षेत्र इस प्रदेश मे शामिल था |
➤ अशोक का झारखण्ड की जनजातियों पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण था |
➤अशोक के पृथक कलिंग शिलालेख-2 मे वर्णित है कि - 'इस क्षेत्र की अविजित जनजातियों को मेरे धम्म का आचरण करना चाहिए, ताकि वे लोक व परलोक प्राप्त कर सकें|'
➤ अशोक ने झारखण्ड मे बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु रक्षित नामक अधिकारी को भेजा था |
मौर्योतर काल
➤ मौर्योतर काल मे विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत मे अपने-अपने राज्य स्थापित किये | इसके अलावा भारत का विदेशों से व्यापारिक संबंध भी स्थापित हुआ जिसके प्रभाव झारखण्ड मे भी दिखाई देते है |
सिंघभूम
➤ सिंघभूम से रोमन साम्राज्य के सिक्के प्राप्त हुए है , जिससे झारखण्ड के वैदेशिक सम्बन्धों की पूस्टि होती है |
चाईबासा
➤ चाईबासा से इंडो-सिथियन सिक्के प्राप्त हुए है |
राँची
➤ राँची से कुषाणकालीन सिक्के प्राप्त हुए है जिससे यह ज्ञात होता है कि यह क्षेत्र कनिस्क के प्रभाव मे था |
गुप्त काल
➤गुप्त काल मे अभूतपूर्व सांस्कृतिक विकास हुआ | अत: इस काल को भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग कहा जाता है |
➤ हजारीबाग के मदुही पहाड़ से गुप्तकालीन पत्थरो को काटकर निर्मित मंदिर प्राप्त हुए है |
➤ झारखण्ड मे मुंडा, पाहन, महतो तथा भण्डारी प्रथा गुप्तकाल की देन माना जाता है |
समुन्द्रगुप्त
➤ गुप्त वंश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक समुन्द्रगुप्त था | इस भारत का नेपोलियन भी कहा जाता था |
➤ इसके विजयों का वर्णन प्रयाग प्रशस्ति ( इलाहाबाद प्रशस्ति ) मे मिलता है | प्रयाग प्रशस्ति की लेखक हरिसेन ह | इन विजयों मे से एक आटविक विजय भी था |
➤ झारखण्ड प्रदेश इसी आटविक प्रदेश का हिस्सा था | इससे स्पस्ट होता है कि समुन्द्रगुप्त के शासनकाल मे झारखण्ड क्षेत्र उसके अधीन था |
➤ समुन्द्रगुप्त ने पुण्डवर्धन को अपने राज्य मे मिला लिया, जिसमे झारखण्ड का विस्तृत क्षेत्र शामिल था |
➤ समुन्द्रगुप्त के शासनकाल मे छोटानागपुर को मुरुण्ड देश कहा गया है |
➤ समुन्द्रगुप्त के प्रवेश के पश्चात झारखण्ड क्षेत्र मे बौद्ध धर्म का पतन प्रारम्भ हो गया |
चन्द्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य'
➤ चन्द्रगुप्त द्वितीय का प्रभाव झारखण्ड प्रदेश मे भी था |
➤ इसके काल मे चीनी यात्री फ़ाहियान 405 ई॰ मे भारत आया था जिसने झारखण्ड को कुक्कुटलाड कहा है |
गुप्तकाल के पुरातात्विक अवशेष
➤ स्थान- मदुही पहाड़, जिला- हजारीबाग, प्राप्त अवशेष- पत्थरों को काटकर बनाए गए चार मंदिर |
➤ स्थान-सतगावां, जिला- कोडरमा, प्राप्त अवशेष- मंदिरों के अवशेष |
➤ स्थान- पीठोरीया, जिला- राँची, प्राप्त अवशेष- पहाड़ी पर स्थित कुआँ |
गुप्तोतर काल
शशांक
➤ गौड़ (पश्चिम बंगाल ) का शासक शशांक इस काल मे एक प्रतापी शासक था |
➤ शशांक के साम्राज्य का विस्तार सम्पूर्ण झारखण्ड, उड़ीसा तथा बंगाल तक था |
➤ शशांक ने अपने विस्तृत साम्राज्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए दो राजधानियां स्थापित की:-
1॰ संथाल परगना का बड़ा बाज़ार
2॰ दुलमी
➤ प्राचीन काल के शासको मे यह प्रथम शासक था जिसकी राजधानी झारखण्ड क्षेत्र मे थीं |
➤ शशांक शैव धर्म का अनुयायी था तथा इसने झारखण्ड मे अनेक शिव मंदिरो का निर्माण कराया |
➤ शशांक के काल मे प्रसिद्ध मंदिर वेणुसागर है जो कि एक शिव मंदिर है | यह मंदिर सिंघभूम और मयूरभंज की सीमा क्षेत्र पर अवस्थित कोचांग मे स्थित है |
➤ शशांक ने बौद्ध धर्म के प्रति असहिस्नुता की नीति अपनाई जिसका उल्लेख है ह्वेनसांग ने किया है।
➤ शशांक ने झारखंड के सभी बौद्ध केंद्रों को नष्ट कर दिया इस तरह झारखंड में बौद्ध जैन धर्म के स्थान पर हिंदू धर्म का महत्व स्थापित हो गई।
हर्षवर्धन
➤ वर्धन वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक हर्षवर्धन था।
➤ इसके साम्राज्य में कांजागल (राजमहल) का कुछ भाग शामिल था।
➤ कांजागल (राजमहल) में ही हर्षवर्धन ह्वेनसांग से मिला | ह्वेनसांग ने अपना यात्रा वृतांत में राजमहल की चर्चा की है।
अन्य तथ्य
➤ हर्यक वंश का शासक बिंबिसार झारखंड क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रचार करना चाहता था।
➤ नंद वंश के समय झारखंड मगध साम्राज्य का हिस्सा था।
➤ नंद वंश के सेना में झारखंड से हाथी की आपूर्ति की जाती थी| इस सेना मे जनजातीय लोगों भी शामिल थे।
➤ झारखंड में दामोदर नदी के उद्गम स्थल तक मगध की सीमा का विस्तार माना जाता है।
➤ झारखंड के 'पलामू' में चंद्रगुप्त प्रथम द्वारा निर्मित मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
➤ कन्नौज के राजा यशोवर्मन के विजय अभियान के दौरान मगध के राजा जीवगुप्त द्वितीय ने झारखंड में शरण ली थी।
➤ 13वीं सदी में उड़ीसा के राजा जयसिंह ने स्वयं को झारखंड का शासक घोषित कर दिया था।
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