झारखण्ड का ऐतिहासिक परिचय । History of Jharkhand। GK in Hindi

झारखण्ड का ऐतिहासिक परिचय

झाड़ियों और वनों की बहुलता के कारण इसका नाम झारखण्ड पड़ा।



 झारखंड का इतिहास समृद्ध और प्राचीन है। इस क्षेत्र में निवास करने वाले प्राचीन आदिवासी जनजातियों का अस्तित्व साम्राज्यकाल से पहले से है। इस क्षेत्र का इतिहास मुख्य रूप से वैदिक और मौर्यकाल से जुड़ा हुआ है। मौर्य साम्राज्य के शासक अशोक ने यहां पर्यटन एवं धार्मिक उपदेशों को बढ़ावा दिया था।


यहां के आदिवासी समुदायों का ऐतिहासिक अवलोकन महाबारत में भी मिलता है। कहा जाता है कि झारखंड के इस क्षेत्र में कई महाबारतीय युद्ध हुए थे।


झारखंड का इतिहास और महत्वपूर्ण हुआ जब ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे अपने अधीन कर लिया। इसके बाद, झारखंड को चोटानागपुर नाम से एक अलग शासन प्रणाली के तहत व्यवस्थित किया गया। अधिकांश अंग्रेजी उपनिवेशों को धातु और खाद्य संसाधनों के लिए उपयोग किया जाता था।


झारखंड को स्वतंत्रता के बाद, 15 नवंबर 2000 को भारत का एक राज्य बनाया गया। यह एक आदिवासी बहुमुखी राज्य है, जहां आदिवासी समुदायों को विशेष संरक्षण और पहचाना जाता है।


झारखंड का ऐतिहासिक परिचय इसे एक सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल के रूप में भी मशहूर बनाता है। यहां पर्यटन स्थलों में राजमहल, मंदिर, धार्मिक स्थल, उद्यान और धारों के दर्शनीय स्थल शामिल हैं। झारखंड का ऐतिहासिक महत्व उसकी संप्रभुता, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता में मूढ़ता है।


झारखंड का ऐतिहासिक परिचय और विस्तृत जानकारी देते हुए, इसे आधुनिक राज्यों में से एक बनने का अनुभव भी हुआ है। झारखंड अपने बढ़ते हुए और विकासशील नगरों, उद्यानों और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए मशहूर है।


झारखंड अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी मशहूर है। यहां पर्यटन स्थलों में उदयगिरी और राजगीर के खंडहर, पालामू घाटी नेशनल पार्क, हजारीबाग झील, बेतलहारा जंगल और देवी मंदिर जैसे स्थान शामिल हैं। झारखंड के ऐतिहासिक स्मारक और संरक्षित क्षेत्र भी दर्शनीय हैं, जहां प्राचीन मंदिर, किले, और विभिन्न कला-संग्रहालय स्थापित हैं।


झारखंड की आदिवासी संस्कृति और जीवनशैली भी यहां के ऐतिहासिक परिचय का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत इस राज्य को अनूठा बनाती है और उनकी प्रथाओं, कला, संगीत और नृत्य द्वारा आदिवासी संस्कृति का प्रचार-प्रसार होता है।


झारखंड के ऐतिहासिक परिचय में सम्प्रभुता, सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य, आदिवासी संस्कृति, पर्यटन स्थल और औद्योगिक विकास के द्वारा यह एक अद्वितीय स्थान है। झारखंड का इतिहास और संस्कृति उसके आदिवासी जनजातियों के साथ जुड़े हुए हैं और उनका महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह राज्य अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, ऐतिहासिक महत्व और विविधता के लिए प्रसिद्ध है और दर्शकों को एक अद्वितीय और प्रशांत अनुभव प्रदान करता है।


• प्राचीन काल में गुप्त शासकों एवं गौड़ शासक शशांक ने झारखण्ड क्षेत्र में सबसे ज्यादा समय तक शासन किया था।


• प्राचीन काल में संथाल परगना क्षेत्र को नरिखंड तथा बाद में कांकजोल नाम से संबोधित किया है।


• नोट:- ' झारखण्ड प्रदेश ' का सर्वप्रथम साहित्यिक वर्णन ऐतरेय ब्रहामण में मिलता है।


झारखण्ड में आदिवासियों का प्रवेश

• असुर जनजाति:- झारखण्ड की प्राचीनतम जनजाति है इनका निवास ( रांची, लोहरदगा, गुमला) है।


• बिरजिया, बिरहोर तथा खड़िया जनजाति :- यह कैमूर की पहाड़ियों से होकर छोटानापुर में प्रवेश किया। 


• मुंडा, उरांव, हो जनजाति :- मुंडाओं ने नगवांश की स्थापना में योगदान दिया था।

उरांव झारखण्ड में राजमहल तथा पलामू दो क्षेत्र में बसे थे।


• चेरो, खरवार, संथाल जनजाति :- 1000 ई. पु. तक चेरो, खरवारों और संथालो को छोड़कर झारखण्ड में पाई जाने वाली सभी जनजातियां छोटानागपुर क्षेत्र में बस चुकी थी।


 




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